एक बार की बात है। एक बच्चा जादू ·का खेल देखने के लिए रोने लगा। उसके पापा ने उसे समझाया कि जादू आखों का धोखा है। लेकिन उसने पापा की बात नहीं मानी और वह जि़द करने लगा। पापा ने उसे डाँटा।
लेकिन वह तब भी अपनी जिद पर अड़ा रहा। अंत में उसके पापा ने उससे वादा किया कि रविवार ·को उसे जादू ·का खेल दिखाने ले जाएँगे।
अगले रविवार की सुबह बच्चे ने पापा से जादू ·का खेल देखने जाने के लिए कहा। उसके पापा ने उसे जादू का खेल दिखाने ले गए।
वहाँ पर उसने कई खेल देखे। एक खेल में हाथ पर पतला कागज रखकर ब्लैड से ·काटा जाता है और न ही हाथ कटता है और न कागज।
घर आकर बच्चे ने वही खेल दोबारा ·किया और उसका हाथ कट गया। कटे हाथ लेकर बच्चा पापा के पास गया।
पापा ने उसकी बैंडेज करवा दी और कहा, ''मैंने बताया था न कि जादू आँखों का धोखा है।''
''बच्चे ने गलती स्वीकार की और आगे जिद न करने का निश्चय कर लिया।"
अमेय नाथ
कक्षा : 4 सी
उम्र : 10 वर्ष